लॉकडाउन और कर्फ्यू के चलते चार लाख प्रवासी कामगार हिमाचल में फंसे

शिमला/नालागढ़/नाहन
पांवटा में कामगार
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन और कर्फ्यू के चलते हिमाचल में चार लाख प्रवासी कामगार फंस गए हैं। सोलन के औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में करीब दो लाख कामगार अपने घरों को नहीं लौट पा रहे हैं। सिरमौर, ऊना जिले में लगभग 50-50 हजार, बिलासपुर में 10800 प्रवासी मजदूर फंसे हैं। यही हाल मंडी, कांगड़ा और अन्य जिलों का भी है।

उद्योग बंद होने से काम-धंधा ठप हो गया है। श्रमिक किराये के कमरों में कैद होने को मजबूर हैं। मकान मालिक की गारंटी पर दुकानों से उधार पर राशन लेकर गुजारा कर रहे हैं। हालांकि अब विधायक, मंत्री, जनप्रतिनिधि, जिला प्रशासन और कई संस्थाएं इनकी मदद को आगे आई हैं। इन्हें आश्रय और खाना दिया जा रहा है। कई लोग आर्थिक मदद कर रहे हैं। ठेकेदारों को भी कामगारों को घर बैठे भोजन खिलाने के आदेश हैं।

हालांकि, उद्योगों में काम करने वाले हिमाचली पैदल ही घरों को रवाना हो गए हैं। प्रवासी कामगारों-फेरी लगाने वालों में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के लोग शामिल हैं। करीब 20 फीसदी कामगार पहले ही होली के कारण घर निकल चुके हैं, जो वापस नहीं आए।  प्रदेश में नेपाल मूल के बड़ी संख्या में मजदूर कार्यरत हैं। हालांकि नेपाली श्रमिकों को तो फिर भी बागवानी क्षेत्र में काम मिल रहा है।

इसके अलावा दूसरे राज्यों से आए गैर बागवानी क्षेत्रों को काम नहीं मिल पा रहा। इनमें औद्योगिक क्षेत्रों के श्रमिक बहुत ज्यादा हैं। इन्होंने जो कमाई की थी, वह इनके खुद के खाने-पीने और रहने में लग रही है। कई श्रमिकों ने ऑनलाइन अपने परिवारों को पैसा भेजा है। चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा के लोग भी पैदल घरों को लौट रहे हैं। अनुमान के अनुसार करीब 20 हजार लोग यहां से जा चुके हैं।

शिमला में कश्मीरी मजदूर भी फंसे

सामान उठाकर जाते मजदूर
शिमला शहर में बड़ी संख्या में कश्मीरी मजदूर फंसे हैं। यह श्रमिक भी उपायुक्त कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। कुछ श्रमिक कश्मीर भेजे जाने के लिए पास बनाने को अर्ज कर रहे हैं तो कुछ मांग कर रहे हैं कि उन्हें शिमला में ही काम दिलाया जाए। इसके लिए उनके कर्फ्यू पास बनाए जाएं।

विधायक ने अपने घर परोसा प्रवासियों को भोजन
कोरोना कर्फ्यू के चलते शनिवार को स्थानीय विधायक इंद्र सिंह गांधी ने अपने घर पर प्रवासियों के लिए भोजन की व्यवस्था की। उन्हें सेल्फ डिस्टेंसिंग का महत्व बताते हुए उनके लिए स्वयं भोजन परोसा। इस दौरान उनके घर पर लगभग डेढ़ सौ मजदूरों ने भोजन ग्रहण किया। संवाद

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